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अमेरिका का इतिहास

 

अमेरिका का इतिहास
 रूस के साइबेरिया से अमेरिकी महाद्वीपों के मध्य एक  बेरिंग समुद्र है।एशिया के साइबेरिया क्षेत्र को उत्तर अमेरिका के अलास्का क्षेत्र से जोड़ता था साइबेरिया की  जनजाति  का एक समूह   मंगोली खाने की तलाश  निकला ये वो समय था जब हिम युग अपने प्रारम्भिक चरण में था  लगभग 27 हज़ार साल पहले  रूस के साइबेरिया से अमेरिकी महाद्वीपों पर बेरिंग समुद्र  में बर्फ का पूल बन गया

एशिया के साइबेरिया क्षेत्र को उत्तर अमेरिका के अलास्का क्षेत्र से जोड़ता है।मंगलो  जनजाति का एक समूह  इस पूल के रास्ते अमरीक के अलास्का तक पहुच गए। यहां से अमेरिका का इतिहास सुरवात हुई ।

अमेरिका का इतिहास

बेरिंग समुद्र पर बना ये बर्फ के पुल के जरिए मानव पहले अलास्का पहुँचा और फिर अमेरिकी महाद्वीपों के अन्य हिस्सों में फैल गया। यह स्थान भी काफी ठंडा था ।पर कूछ दुर् जाने पर उनको उपयुक्त भूमि मिल गयी उनके रहने के लिये उचित लगी  ।समय बीतने पर उन्होंने खेतीबाड़ी करना सीख लिया और अपनी सभ्यताओं का विकास किया ।


अमेरिका विश्व के सुपर पावर माना जाता है।परंतु अमेरिका का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नही है  इसकी खोज 1492 में हुयी थी इसका क्षेत्रफल 3898 वर्ग मील है जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। इसमें 50 राज्यों और एक संघीय जिला से मिलकर बना है इसकी राजधानी वॉशिंगटन, डी॰ सी॰ है इसमें सबसे बड़ा शहर न्यूयॉर्क हैं। इसकी जनसंख्या 32.5 करोड़ है जो चीन और भारत के बाद विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है अमेरिका।

यह कई राज्यों को मिलाकर बना हुआ है ।इसलिए इसका नाम संयुक्त राज्य अमेरिका है यहां का भूगोल, जलवायु और वन्यजीवन बेहद विविध हैं। अमेरिका में तक़रीबन 80% शहरीकरण हो चूका है और दिन प्रतिदिन विकसित होता जा रहा है।


अमरीका की खोज किसने की

कोलंबस को पता था कि पृथ्वी गोल है तो वो समुद्र के रास्ते भारत की खोज में निकल पड़ा 1492 में अमेरिकी महाद्वीपों के पास स्थित एक द्वीप जिसे वो भारत समझ बैठा, बाद में उसने और द्वीपों की यात्रा भी किया जहा उसको कुछ आदिवासी लोग मिले जिसे कोलंबस ने उन्हें भारतीय समझकर रेड इंडियन का नाम दिया।

कोलम्बस जब स्पेन  वापस आया तो उसने बताया की उसने भारत को खोज कर ली है । यह बात पुरे यूरोप में फ़ैल गयी और लोग समुद्ध के रास्ते पहुंचने लगे। परन्तु जब अमेरिगो वेस्पूची नाम के एक खोजी ने कहा कि  कोलम्बस ने जिस जगह की खोज की है वो भारत नहीं अपितु अमेरिका है।

जब अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में जानकारी युरोपिय देशों को मिली तो उसे अपना उपनिवेश बनाने की होड़ मच गई जिसमें ब्रिटेन, स्पेन और फ्रांस सभी देश आगे थे। यहां के पूर्वी हिसे में ब्रिटिश लोगो ने अलग अलग 13 क्लोनियाँ बसा ली थी जो ब्रिटिश झंडे के निचे अपना शासन चलाते थे। यहाँ पर इंग्लैंड  ओर युरोप के आलवा अन्य लोग भी थे।

अमेरिका की स्वतंत्रता किस देश से मिली

1773 में ब्रिटिश संसद में एक प्रस्ताव पारित कर अमेरिकियों पर चाय के आयात पर कर लगा दिया था जिसका मतलब था कि अमेरिका ब्रिटेन का गुलाम है। लेकिन 13 कॉलोनीयो में बसे लोगो को ब्रिटिश सरकार की नीतियों से संतुस्ट नहीं थे और उन्होंने 4 जुलाई 1776 को अपने को एक स्‍वतंत्र राष्ट घोषित कर दिया जिसका नाम सयुक्त राष्ट रखा।

लम्बे युद्ध के बाद 1783 में फ्रांस और इंग्लैंड की सरकार ने इन 13 कॉलोनीयो को एक अलग देश के मान्यता दे दी जिसका नाम रखा गया संयुक्त राज्य अमेरिका। सन 1788 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने संविधान को लागू किया और जार्ज वाशिंगटन को पहला राष्ट्रपति बनाया।

देश बनने के बाद अमेरिका ने अपना साम्राज्य बढ़ाना शुरू कर दिया। 1803 में अमेरिका ने फ़्रांस के एक बड़े भूभाग वाले लुसियाना को खरीद लिया। 1848 में अमेरिका ने मेक्सिको से कैलिफोर्निया को अपने में विलय कर लिया था।

प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका ने मिलिट्री पॉवर का दमखम दिखाया और द्वितीय विश्व युद्ध में नुक्लेअर हथियारों का उपयोग कर के महाशक्ति के रूप में उभरा। 1991 में सोवियत संघ के विघटन और शांति युद्ध के ख़त्म होते ही यूनाइटेड स्टेट महाशक्ति के नाम से जाना जाने लगा।

अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम मुख्यतः ग्रेट ब्रिटेन तथा उसके उपनिवेशों के बीच आर्थिक हितों का संघर्ष था किन्तु कई तरीकों से यह उस सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के विरूद्ध भी विद्रोह था जिसकी उपयोगिता अमेरिका में कभी भी समाप्त हो गई थी। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अमेरिकी क्रांति एक ही साथ आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक अनेक शक्तियों का परिणाम थी। मुख्य रूप से कूछ कारण थे। जो अमेरिका के क्रंति का कारण बने।

व्यापारिक अधिनियम (ट्रेड ऐक्ट) : इंग्लैंड ने कानून बनाया कि अमेरिका में उत्पादित वस्तुओं जैसे चावल, लोहा, लकड़ी, तंबाकू आदि का निर्यात केवल इंग्लैंड को ही किया जा सकता था। इन नियमों से उपनिवेशों में काफी रोष फैला। क्योंकि फ्रांस एवं डच व्यापारी उन्हें इन वस्तुओं के लिए अंगे्रजों से अधिक मूल्य देने को तैयार थे।

औद्योगिक अधिनियम : इंग्लैंड ने कानून बनाया कि जिस औद्योगिक माल को इंग्लैंड में तैयार किया जाता था वही माल उसके अमेरिकी उपनिवेश तैयार नहीं कर सके। इस प्रकार 1689 के कानून द्वारा उपनिवेशों से ऊनी माल तथा 1732 ई. के कानून द्वारा टोपों (Hats) का निर्यात् बंद कर दिया गया।

नौसंचालन कानून (Navigation act) : 1651 ई. के प्रावधान के अनुसार उपनिवेशों में व्यापार केवल इंग्लैंड, आयरलैंड या उपनिवेशों के जहाजों के माध्यम से ही हो सकता था। इसके तहत् यह व्यवस्था की गई कि इंग्लैंड के लिए आवश्यक सभी प्रकार के कच्चे माल बिना इंग्लैंड के बंदरगाहों पर लाए, उपनिवेशों से दूसरे स्थानों पर निर्यात् नहीं किए जाए। इससे इंग्लैंड के पोत निर्णात उद्योग को तो लाभ हुआ ही इंग्लैंड के व्यापारियों को भी मिला 1663 के कानून के तहत् कहा गया कि यूरोप से अमेरिकी उपनिवेशों में निर्यात किया जाने वाला माल पहले इंग्लैंड के बंदरगाहों पर लाया जाएगा। इस कानून से इंग्लैंड के व्यापारियों तथा व्यापारी बेड़ो के मालिकों को अमेरिकी उपभोक्ता की कीमत पर लाभ होता था। ये कानून उपनिवेशवासियों के लिए अन्यायपूर्ण थे।

बौद्धिक चेतना का विकास

अमेरिका में जीवन के स्थायित्व के साथ ही शिक्षा और पत्रकारिता का विकास हुआ जिसने बौद्धिक चेतना के विकास में अपना योगदान दिया। अमेरिका के अनेक बौद्धिक चिंतकों जैसे-बेंजामिन फ्रैंकलिन, थॉमस जेफरसन, जेम्स विल्सन, जॉन एडम्स, टॉमस पेन, जेम्स ओटिस, सैमुअल एडम्स आदि ने मातृदेश के प्रति उपनिवेशों के प्रतिरोध का औचित्य बताया। इनके विचार जॉन लॉक, मॉण्टेस्क्यू जैसे चिंतकों से प्रभावित थे। लेकिन ये विचार ऐसे सशक्त रूप से अभिव्यक्त किए गए थे कि उसे अमेरिकी लोगों की स्वशासन की मांग को बल मिला गया।

अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा (Declaration of Independence) एक राजनैतिक दस्तावेज है जिसके आधार पर इंग्लैण्ड के 13 उत्तर-अमेरिकी उपनिवेशों ने 4 जुलाई 1776 ई. को स्वयं को इंग्लैण्ड से स्वतंत्र घोषित कर लिया। इसके बाद से
4 जुलाई को यूएसए में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

अमरीका के निवासियों ने ब्रिटिश शासनसत्ता के अधिकारों और अपनी कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए जो संघर्ष सन् 1775 ई. में आरंभ किया था वह दूसरे ही वर्ष स्वतंत्रता संग्राम में परिणत हो गया। इंगलैंड के तत्कालीन शासक जॉर्ज तृतीय की दमननीति से समझौते की आशा समाप्त हो गई और शीघ्र ही पूर्ण संबंधविच्छेद हो गया। इंगलैंड से आए हुए उग्रवादी युवक टॉमस पेन ने अपनी पुस्तिका "कॉमनसेंस" द्वारा स्वतंत्रता की भावना को और भी प्रज्वलित किया। 7 जून, 1776 ई. को वर्जीनिया के रिचर्ड हेनरी ली ने प्रायद्वीपी कांग्रेस में यह प्रस्ताव रखा कि उपनिवेशों को स्वतंत्र होने का अधिकार है। इस प्रस्ताव पर वादविवाद के उपरांत "स्वतंत्रता की घोषणा" तैयार करने के लिए 11 जून को एक समिति बनाई गई, जिसने यह कार्य थॉमस जेफ़रसन को सौंपा। जेफ़रसन द्वारा तैयार किए गए घोषणापत्र में ऐडम्स और फ्रैंकलिन ने कुछ संशोधन कर उसे 28 जून को प्रायद्वीपी कांग्रेस के समक्ष रखा और 2 जुलाई को यह बिना विरोध पास हो गया।

जेफ़रसन ने उपनिवेशों के लोगों की कठिनाइयों और आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नहीं, अपितु मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों के दार्शनिक सिद्धांतों को ध्यान में रखकर यह घोषणापत्र तैयार किया ।


अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन

जॉर्ज वाशिंगटन का जन्म 1732 में वर्जीनिया की ब्रिटिश उपनिवेश में हुआ था। जिनको अमेरिका का

फादर ऑफ अमेरिका” एवं अमेरिका के राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। उन्होंने अमेरिका को ब्रिटिश राज से आजादी दिलाने और अमेरिका की क्रांति (1775 – 1783) में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

ब्रिटिश सैन्य में सेवा की और अमेरिकी क्रांति के दौरान औपनिवेशिक सेना के कमांडर-इन-चीफ बने। वाशिंगटन को अमेरिका के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्माण में अभिन्न योगदान दिया।आज जो अमरीका दुनियॉ का सबसे सक्तिशाली देश है। उसमे अमेरिका का बहुत योगदान रहा है।

निष्कर्ष
अमेरिका का इतिहास बहुद ज्यादा पुराना नही
है।पर बहुत कम समय मे इसने अपना विकस किया है। जो आज के अमेरिका को  सर्वश्रेष्ठ स्थान दिलाता है।
विश्व की शक्तिशालि देशो में अमेरिका सबसे शाक्तिशाली है। राजनीतिक सामाजिक आर्थिक सभी विषयो में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

















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