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खुरासन क्या है। hindi me

 खुरासन क्या है।

 अरब में रहने वाले कूछ लोगो का समूह  अरब से  निकल कर ईरान पहुचे वे ईरान के जिस हिस्से में वो पहुचे उसका नाम खुरासान था।

मध्य फारसी में ‘ख़ुर’ का मतलब ‘सूरज’ आधुनिक फ़ारसी में ‘ख़ुरशीद​’और ‘असान’ या ‘अयान’ का मतलब ‘आना’ होता है. ‘ख़ुरासान’ का मतलब है वह जगह जहां से सूरज आता हो यानि ‘पूर्वी ज़मीन’. यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ख़ुरासान क्षेत्र ईरान से पूर्व में है.
धीरे धीरे खुरासान का दायरा बडा होता गया पर एक वक्त जब ईरान के एक छोटे से हिस्से में सिमट गया
खुरासान को फारसी में ख़ुरासान-ए-कहन भी कहा जाता है. प्राचीन ख़ोरासान मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र था, जिसमें आधुनिक अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पूर्वी ईरान के बहुत से भाग शामिल थे. इसमें कभी-कभी सोग़दा और आमू-पार क्षेत्र शामिल किये जाते थे. ईरान में अब भी खुरासान नाम का एक प्रांत है, जो इस ऐतिहासिक ख़ुरासान इलाक़े का केवल एक भाग है. 2011 में बगदादी की नज़र इस पर पड़ी  ओर उसने अपने लड़के यहां से तैयार किये iss के 20 संग़ठन कार्य कर रहे है।जिसमे खुरासान सबसे ज्यादा खूँखार माना जाता है। और वही से उसने पूरी दुनिया को खुरासान के नक्शे में बदलना का सपना देखा भारत को भी शामिल किया ।शुरुवात में बगदादी ने जो खुरासान का जो नक्शा दुनिया के सामने रखा उसमे
नेपाल बांग्लादेश चीन के कूछ हिस्सा भारत  पाकिस्तान तजाकिस्तान किर्गिस्तान उज्जेबेकिस्तान
को शामिल किया। खुरासान कट्टर इस्लामिक विचरो को मानता है उसके अनुसार विश्व मे केवल एक ही धर्म होना चाहिये । 

khurasan kya hai


खुरासान में कुओं तथा बीच-बीच में लुप्त हो जाने वाली नदियों द्वारा सिंचित बहुत से नखलिस्तान पाए जाते हैं.  केसर , पिस्ता, गोंद, काष्ठफल, कंबल, खाल  नीलमणि आदि के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर लोहा , सीसा, नमक, सोना, तांबा और स्फटिक भी पाया जाता है.
खुरासान मॉड्यूल क्या है।
क्‍या है आईएस का खुरासान मॉड्यूल?
I S I S -K  आतंकी संगठन  I S I S
की एक शाखा है जिसका पूरा नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रॉविन्स के नाम से जाना जाता है। इस मॉड्यूल का बेस पाकिस्तान-अफगान सीमा के अलावा उत्तर-पूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित है। इस संगठन को बेहद  खतरनाक माना जाता है। पाकिस्तान की ओर से हमेशा कट्टर सोच रखने वाले मौलवी वह की जनता को गज़वा-ए- हिन्द का सपना दिखते है। जो भारत के
खिलाफ होगा।


ग़ज़वा-ए-हिंद का अर्थ है
  एक ऐसा युद्ध जो मोहम्मद साहब के निर्देश के मुताबिक लड़ा जाए. इस मान्यता के अनुसार हर मुसलमान का कर्तव्य है कि वो सुनिश्चित करे- दुनिया भर में   मूर्ति पूजा बंद होनी चाहिए. क्योंकि मूर्ति पूजा बंद होने के बाद ही दुनिया में इस्लाम का  शरिया कानून कायम हो सकेगा।भारत मे सबसे अधिक मूर्ति पूजा होती है  ।खुरासान ओर अलकायदा जैसे आंतकवादी संग़ठन के  अनुसार ग़ज़वा-ए-हिंद तभी संभव है जब या तो भारत के कई टुकड़े हो जाएं या फिर भारत पूर्ण रूप से इस्लामिक देश बन जाए.


भारत  के लिए खतरा ख़ुरासान -K मॉड्यूल
ग़ज़वा-ए-हिंद पाकिस्तान का सपना है और वहां के कट्टर मौलवी, आतंकवादी और सेना भारत के खिलाफ गज़वा-ए-हिंद की धमकी देते रहे हैं। सभी धर्मों को बराबर मान कर विश्व शांति की और देखना चाहिए। ताकि विश्व  कल्याण की ओर मानव जाति ओर अधिक समृद्ध हो।इस्लाम के कुछ धर्म ग्रंथों में गजवा-ए-हिंद का जिक्र करते हुए कहा गया है कि खुरासान से एक इस्लामिक सेना भारत पर हमला करेगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि खुरासान जिस इलाके को कहा जाता है उ पाकिस्तान में कट्टर इस्लाम को मानने वाले कहते हैं कि इतने वर्षों में गजवा-ए-हिंद इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि इससे पहले भारत पर जितने मुसलमान आक्रमणकारियों ने हमला किया था वो इस्लाम की कट्टर विचारधारा से तो प्रेरित थे लेकिन उनका उदेश्य   भारत के धन और दौलत को लूटना था। लेकिन जो लोग गजवा-ए-हिंद करेंगे वो भारत को लूटने नहीं बल्कि भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के उदेश्य से हमला करेंगे। लेकिन गजवा-ए-हिंद की थ्योरी के मुताबिक उससे पहले कट्टर इस्लाम को दुनिया के दूसरे इलाकों में मजबूत होना होगा. अफगानिस्तान इसका सिर्फ एक उदाहरण है।अगर इनको अभी रोक नही गया तो ये सारे विश्व के लिए खतरा बनेगा।

भारत मे कूछ घटनाओ को देखते हुए खुरासन मॉड्यूल को भारत के लिहाज से खतरनाक माना गया है। मध्य प्रदेश में ट्रेन ब्‍लास्‍ट की कोश‍िश और यूपी की राजधानी लखनऊ में हुए एक एनकाउंटर के बाद आतंकी संगठन ISSI -K  के खुरासान मॉड्यूल का नाम अचानक चर्चा में आया था। इस आतंकी संगठन की जम्‍मू-कश्‍मीर में सक्रिय  पाए गए है । यह आतंकी संगठन लगातार भारत में गजवा-ए-हिंद एजेंडे के तहत युवाओं को आतंकी बनाने की कोश‍िश में लगा है। कूछ लोग इस संगठन के विचार से प्रभावित होकर इसमे शामिल  हो जाते । ऐसे संग़ठन समाज और मानव जाति के लिए खतरा है।
आतंकवादी संगठन करते हैं इनका प्रयोग
कुरान के बाद हदीसें इस्लाम में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। गज़वा-ए-हिन्द की हदीसों का इस्तेमाल इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठन लोगों को बरगलाने और जिहाद के नाम पर आतंकी बनाने में करते है।

अलकायदा और जैश-ए-मोहम्म्द जैसे संगठन हिंदुस्तान और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को जिहाद की आग में झोंकने और खुद को स्थापित करने के लिए गज़वा-ए- हिन्द की हदीसों का इस्तेमाल करते है।

भारत के साथ कश्मीर में छद्म युद्ध लड़ रहे पाकिस्तान और स्थानीय तथा विदेशी आतंकी संगठन इन हदीसों के प्रयोग मुस्लिम युवाओं को भड़काने और भारत के खिलाफ हथियार उठाने के लिए ब्रेनवाश करने में एक हथियार की तरह प्रयोग करते हैं। लश्कर-ए-तैयबा गज़वा-ए-हिंद को कश्मीर की आज़ादी से जोड़ता था।

पाकिस्तान के कट्टरपंथी इन हदीसों को यह कहते हुए प्रमोट करते हैं कि पाकिस्तान का तो जन्म ही गज़वा-ए-हिन्द को पूरा करने के लिए हुआ है। मसूद अज़हर भी अपने जिहादी भाषणों में इन हदीसों का जम कर प्रयोग करता था।

अमेरिका और खुरासन -K
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने कई आतंकी संगठनों को फिर मजबूत कर दिया है. कभी अमेरिका के हमलों की वजह से कमजोर और छिन्न-भिन्न हो ये आतंकी संगठन अब. इसमे से एक संगठन ISSI -K  के है।खुरासान ओर अमेरिका की दुश्मनी कूछ साल पहले चालू हुई ।अमेरिका अपने लिए खुरासान को तालिबान से अधिक खतरनाक मानता है।अमरीक ने एयर स्ट्राइक करते हुए कई हमले किये जिसमे उसने आपने खतरनाक बम मदर ऑफ बम का भी प्रयोग किया। खुरासन ओर issi के संगठन अमेरिका को कई बार हमले की धमकी दे चुके है। अमेरिका के सेना की वापसी के बाद से अफगानिस्तान के हालात में तेजी से बदलाव आया अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने कई आतंकी संगठनों को फिर मजबूत कर दिया है। वो अपनी सक्रियता अधिक करने में लगा गए  है। कभी अमेरिका के हमलों की वजह से कमजोर और छिन्न-भिन्न हो ये आतंकी संगठन अब 
फिर से मजबूत होने लगे है।दुनिया के लिए खतरा बन चुके आंतकवादी संगठनो का विस्तार दुनियॉ के लिए खतरा है।

पाकिस्तान ओर I S S I 

पाकिस्तान ने गजवा-ए-हिंद के  नाम पर आतंकी संगठनों ने हिंसा को सही ठहराने के लिए धर्म का मन माना राजनीतिक इस्तेमाल किया।पाकिस्तान सरकार ने भी इसका अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग किया।जानकार मानते हैं कि आतंक को मिली फंडिंग ने पाकिस्तान में एक ऐसी सिस्टम खडा  कर दीया है।जिसमें जेहाद और इस्लाम के नाम पर हिंसा का तर्क संगत बताया  जाता है. उनके मुताबिक अफसोस और चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान आतंक के इस वैचारिक नेटवर्क को खत्म करने पर अभी भी गंभीर नहीं दिखता।अल कायदा की उज्बेक शाखा ने तो बाकायदा उर्दू में ‘गज़वा-ए-हिन्द’ के नाम से एक पत्रिका भी निकाली थी, जिसमें ‘गज़वा-ए-हिन्द’ की व्याख्या करते हुए ये कहा गया था कि पाकिस्तान में निज़ाम शरीयत के हिसाब से नहीं है, इसलिए भारत के खिलाफ ‘गज़वा-ए-हिन्द’ यहाँ से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैलेगा। आंतकवाद की खुल कर आलोचना होनी चाहिए।भारत का हर नागरिक आंतकवाद का विरोध करता है।

आतंकवादी संगठन करते हैं इनका प्रयोग
कुरान के बाद हदीसें इस्लाम में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। गज़वा-ए-हिन्द की हदीसों का इस्तेमाल इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठन लोगों को बहकाने और जिहाद के नाम पर आतंकी बनाने में करते है।

निष्कर्ष
भारत हमेशा ही विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ना चाहता है। विश्व के अनेक देश आंतकवाद के विरोध में शक्त रणनीति अपना रहे है।जहाँ अमेरिका पिछले कई सालों से अफगानिस्तान में अपने सैनिक को लड़ाई के मैदान में आंतकवादियो का सामना करने के लिए रखा है। दूसरी ओर इस्राइल चारो ओर से मुस्लिम देशों से घिरे होने के बाद भी आंतकवाद के खिलाफ काफी सफल रहा है।

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